Friday, November 6, 2009

आओ ग़ज़ल लिखें.....!!!

आओ ग़ज़ल लिखें.....!!!
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"कतरे गुलों के बिखरे हैं.. शब,शाम और सहर,
फिर आ गयी बहार है , आओ ग़ज़ल लिखें.'

'दीवानगी की हद है या मौसम का कुछ असर,
छाने लगा खुमार है , आओ ग़ज़ल लिखें.'

'तनहाइयों की रात और ज़ज़्बात का सफ़र,
अब किसका इंतज़ार है ? आओ ग़ज़ल लिखें.'

'रस्म-ओ-रिवाज़ ,बुज़दिली, बर्बादियों का डर,
क्यों बंदिशें हज़ार हैं ?? आओ ग़ज़ल लिखें.'

'आगाज़ पुरसुकून है, अंज़ाम बेख़बर!!
तस्कीन बेशुमार है , आओ ग़ज़ल लिखें.'

'फिर से समेटनी है .. यादों की रहगुज़र,
लफ़्ज़ों की एक पुकार है , आओ ग़ज़ल लिखें.'

'ख़ुशियाँ बरस पड़े सब,हासिल है वो हुनर,
हर ग़म पे इख़्तियार है , आओ ग़ज़ल लिखें.'

'गैरों के ग़म में उलझी है.. जब से मेरी नज़र,
हर लम्हा बेकरार है , आओ ग़ज़ल लिखें.'

'महफ़िल में तेरे नाम है.. इल्ज़ाम सर-ब-सर,
'शायर' से तुझको प्यार है , आओ ग़ज़ल लिखें ...!!!"
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